2024-10-01 08:43
ये वफाओं की महक है जाना,
मेहरम इस शाय से हर कोई कहां जाना।
इश्क़ के अस्तिशी समंदर को यूंही,
कोई पार कर ले,ये कहां मुमकिन है जाना।
वो जो बेनियाज़ है अभी तुम से
थोड़ा और सब्र करलो जाना।
जो जग उठेंगे जाज़्बे मुहब्बत उस में,
फिर कहां रह पाएगा वो बिन तुम्हारे जाना!!
Bas_khayl
@farhashaikh1703