2024-11-04 05:38
कभी यूँ भी आ, मेरे रूबरू,
तुझे पास पा के, मैं रो पड़ूँ,
मुझे मंजिल-ए-इश्क़ पे हो यकीं,
तुझे धड़कनों में, मैं सुना करूँ,
कभी सज़ा लूँ, तुझे आँखों में,
कभी तस्बीहों पे, तुझे पढ़ा करूँ,
कभी चूम लूँ, तेरे हाथों को,
कभी तेरे दिल में, बसा करूँ,
कभी यूँ भी आ, मेरे रूबरू,
तुझे पास पा के, मैं रो पड़ूँ,
- writer
Sai pallavi