आंखों में तेरे सपने हैं
लगते बड़े अपने हैं।
तू झील से निकलकर
नदियों में बहती कल कल
सी है।
चने के खेत में धरी अलसी सी है
वहीं धनिया पुदीने और आंवले
की चटनी सी है।
तू जीवन चटकार
आहार विहार
हास्य परिहास्य सी है।
तू जीवन कलश
धारा पलश
तू जीवन तलाश
सी है।
तू ठंडक गर्मी
तो कभी रिमझिम
बरसात सी है।
तू रहती हर पल
साथ साथ सी है।
तू ऑलवेज पास पास
सी है।