सेवा है यज्ञ कुंड समिधा सम हम जले
ध्येय महासागर में सरित रूप हम मिले
लोकयोगक्षेम ही राष्ट्र अभय गान है
सेवारत व्यक्ति व्यक्ति कार्य का ही प्राण है
दीनहीन सेवा ही परमेष्टि अर्चना
केवल उपदेश नहीं कर्मरूप साधना
मनवाचा कर्मसे सदैव एकरूप हो
शिवसुंदर नवसमाज विश्ववन्द्य हम गढे
सेवा है यज्ञ कुंड समिधा सम हम जले
सेवा ईश्वरीय कार्य है 🙏🏼🚩🕉️