2025-01-06 07:46
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यहां हर शख्स खुद में उलझा है,
मतलब के सिवा कोई रिश्ता न सुलझा है।
दोस्ती भी अब सौदे में बदल गई,
सच्चाई कहीं खोसी हुई सी लगती है।
जहां देखो बस स्वार्थ का पहरा है,
हर दिल में छल-कपट का चेहरा है।
जो साथ चलने की बातें करते थे,
वो ही मुड़कर अपना रास्ता लेते हैं।
मतलबी इस दुनिया में कोई क्यों सच्चा बने,
यहां हर रिश्ता बस मतलब से तले।
चल अकेले, खुद पे यकीन रख,
इस झूठी दुनिया से दूर कहीं सफर तय कर।