2025-01-13 15:54
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कब्र
जनाजे पे थे कंधे हजार
उसका कंधा दिखाई न दे।
आँखें खुली रह गईं
उसके इंतजार में।
वो आई मिट्टी पे मेरे
ज़माने के जाने के बाद।
परदा बेपरदा करके
बोली, माफ़ करो।
यहाँ ना सही तो
हश्र में होगी मुलाक़ात।
साँसें गुम हो चुकी थीं,
लेकिन मरने के बाद मिलती हूरें,
ये बात सच हो चुकी थी।
मर जाऊं सैकड़ों बार,
इस हूर का दीदार जो हो हर बार।
- मुसन्निफ़ 🍁
चित्र स्रोत - पिंटरेस्ट