2025-01-14 01:33
ख़्वाब आंखों में जगाया कर,
दिल को थोड़ा सा बहलाया कर।
रास्ते तन्हा नहीं होते कभी,
कदम अपने तो बढ़ाया कर।
आइने में खुद को देख के बोल,
"तू हीरा है," ये दोहराया कर।
ग़म की परछाई से मत डर,
खुशियों की धुन गुनगुनाया कर।
चाय ठंडी न हो जाए तेरी,
उसमें इश्क़ को घोल लाया कर।
सितारों से दोस्ती कर ले तू,
रात को खुलकर मुस्काया कर।
ज़िंदगी शिकवे नहीं सुनती बहुत,
कभी इसका शुक्र मनाया कर।
जो भी है, जैसा है, काफी है,
खुद को बस यही समझाया कर।
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