कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं॥
राम काज लगि तव अवतारा। सुनतहिं भयउ पर्बताकारा॥
अर्थ - इस संसार में ऐसा कोई सा कार्य है जो तुम नहीं कर सकते। हनुमान तुम्हारा तो अवतार ही श्री राम के कार्य सिद्धि के लिए हुआ है। इतना सुनते ही हनुमान जी अपने शरीर का आकार पर्वत के समान बढ़ा लिया।