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जितना सब अपनी मुट्ठी में समेटोगे
उतना ही सब खो दोगे...!
जितना जिंदगी से आशाएं करोगे
उतना ही खुद को टूटा पाओगे...!
बेहतर है सबर कर जिंदगी गुजारो
जो तुम्हारा है मिल ही जाएगा...!
जिस पर तुम्हारा कोई हक ही नहीं
सब समेटने के बाद भी हाथ से छूट ही जाएगा...!
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"ℋ𝒶𝓇𝓈𝒽𝒾𝓉𝒶 𝓇𝒶𝓃𝒶🍁