2025-03-16 04:04
न है कोई मंजिल
न है आशियाना
रास्ते का सफर है
रस्ते में कट जाना।
इक स्वप्न सा है जीवन
जो सुबह है टूट जाना
है स्वप्न में ही जीना
और स्वप्न में मर जाना।
इक चक्र है ये जीवन
बस इसको है जीते जाना
कुछ कर्ज हैं ,कुछ फर्ज हैं
बस इनको है निभाना।
है ईश्वर ऊपर बैठा
काम है खेल दिखाना
उसके हाथों की कठपुतली
हमको है नाचते जाना।
है सबने ऐ समझा
और सबने है जाना
इक दिन आएगा बुलावा
और सबको है जाना।
है सब मोह माया
लोभ सभांल न पाया
मिट्टी की है काया
पर अनमोल है बनाया।