2025-03-16 08:26
उस शून्य से तू आया
शून्य में ही जाएगा
यहाँ न कोई रह पाया
और न तू ही रह पाएगा
ऊपर तेरे हार की
बिछी बिसात है
उस शून्य से तू जीत जाय
तेरी कहाँ औकात है
कर्म कर ले तू ऐसा
जो हो इंसानों के जैसा
जब जन्म है इंसान का
तो कर्म क्यों शैतान का
सब कहते हैं , आज
आया कलयुग का राज
मन में आया इक सवाल
कलयुग बनाया किसने जनाब
हमारा कर्म जो आज है
वही कलयुग का राज है
तू बदल कर तो देख
तेरा बदलेगा आज है