2025-03-17 03:20
जीवन पथ पर चलते चलते
अवरोध बहुत से आएंगे
मत रुकना यूं घबराकर
वो सीख नई दे जाएंगे ।
तपता है सोना अग्नि में
तब ही तो कुंदन बनता है
तपकर कुम्हार की मिट्टी का
यूं सुंदर रूप निखरता है।
मिट्टी भी, सोना भी तुम
अपने अस्तित्व को पहचानो
मत मिलने दो,इस मिट्टी में
मन को कुंदन कर डालो ।
जब जागो तब देर नहीं
बस समझो यही सवेरा है
सूरज की स्वर्णिम किरणों से
जो भगा दूर अंधेरा है।
कहते तो हैं सब, बढ़े चलो
पर बढ़ना उसको आता है
नदी समान निश्छल बनकर
जो सागर में मिल जाता है ।